रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कहानी
मेरी पाँच बरस की लड़की मिनी से घड़ीभर भी बोले बिना नहीं रहा जाता। एक दिन वह सवेरे-सवेरे ही बोली, "बाबूजी, रामदयाल दरबान है न, वह ‘काक’ को ‘कौआ’ कहता है। वह कुछ जानता नहीं न, बाबूजी।" मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने दूसरी बात छेड़ दी। "देखो, बाबूजी, भोला कहता है – आकाश में हाथी सूँड से पानी फेंकता है, इसी से वर्षा होती है। अच्छा बाबूजी, भोला झूठ बोलता है, है न?" और फिर वह खेल में लग गई।मेरा घर सड़क के किनारे है। एक दिन मिनी मेरे कमरे में खेल रही थी। अचानक वह खेल छोड़कर खिड़की के पास दौड़ी गई और बड़े ज़ोर से चिल्लाने लगी, "काबुलीवाले, ओ काबुलीवाले!"
कँधे पर मेवों की झोली लटकाए, हाथ में अँगूर की पिटारी लिए एक लंबा सा काबुली धीमी चाल से सड़क पर जा रहा था। जैसे ही वह मकान की ओर आने लगा, मिनी जान लेकर भीतर भाग गई। उसे डर लगा कि कहीं वह उसे पकड़ न ले जाए। उसके मन में यह बात बैठ गई थी कि काबुलीवाले की झोली के अंदर तलाश करने पर उस जैसे और भी
The artist said, “Sir, I’m really worried. One big businessman is after ruining my reputation, which I have earned till now.” “What has happened?” inquired Birbal.
“Huzoor, one day I met the businessman in some party. There he was challenging that no artist could portray him perfectly. Hearing this, I accepted his challenge and fixed up the time with him for drawing his portrait. A few days latter when I finished the portrait, I visited the rich man’s house and showed the portrait to him. But seeing the portrait, he screamed – You have portrayed me in beard! I tried to convince him that at the time of portrait making, he was possessing beard. But he did not listen to me at all.”
हज़ार जूते
गधे तम्बाकू नही खाते
MARIA : Here it is!
TEACHER : Correct. Now class, who discovered America?
CLASS : Maria!
TEACHER : Why are you late, Frank?
FRANK : Because of the sign.
TEACHER : What sign?
FRANK : The one that says, “School Ahead, Go Slow.”
Zindagi se hara hua hai ....
Par "customers" se haar nahi maanta,
Apne presentation ki ek line isey rati
hui hai....
तीन नीग्रो जंगल से जा रहे थे, रास्ते में उन्हें भगवान मिले. भगवान ने उन्हें एक-एक वरदान मांगने के लिए कहा.
पहला नीग्रो बोला - "मुझे गोरा बना दो."
भगवान - "तथास्तु."
दूसरा नीग्रो बोला - "मुझे भी गोरा बना दो."
भगवान - "तथास्तु."
अब तीसरे नीग्रो के मांगने की बारी थी. उसने वरदान माँगा - "इन दोनों को फिर से काला बना दो.... !"
Man: Ghar se dunai tak road banani hai
Jinn: Mushkil hai aur koi kaam bataiye
Man: Meri biwi ko aagyakari aur samajhdar bana do.
Jinn: Road single banani hai ya dabule..
Bechara Mard – बेचारा मर्द
मर्द अगर औरत पर हाथ उठाए तो ज़ालिम , औरत से पिट जाये तो बुजदिल
औरत को किसी के साथ देख कर लड़े तो इर्शालू, अगर कुछ न कहे तो बेघैरत
अगर घर से बहार रहे तो आवारा , घर में रहे तो नाकारा
बचों को डांटे तो ज़ालिम , न डांटे तो लापरवा
हाय मर्द बेचारा जिसके जीवन मे सिर्फ दर्द ही दर्द है
और उपरसे कहते है की मर्द वही होता है जिसको दर्द नही होता
एक नेता जी फिल्मों के खिलाफ धुआंधार भाषण दे थे : ‘ आज की फिल्मों में गंदगी के सिवा है ही क्या ? ज्यादातर फिल्में सेक्स और मारधाड़ से भरी होती हैं। कहानी में कोई सिर - पैर नहीं होता। भौंडे डायलॉग और अश्लील नाच - गाने जबर्दस्ती ठूंसे जाते हैं। कभी -कभी तो किसी सीन का पूरी कहानी से दूर का भी वास्ता नहीं होता।जैसे एक औरत अपने पति का खून कर देती है। फिर चार आदमियोंसे एक साथ इश्क लड़ाती है। शराब के नशे में नाचती - गाती है।खुली कार में जाती है तो कम कपड़ों में। ऊपर से बारिश आ जातीहै। उसके शरीर का एक - एक अंग दिखाई देने लगता है। रात कोकार एक होटल से जा टकराती है। होटल को आग लग जाती है।होटल में ठहरे लोग बाहर की तरफ भागते हैं। किसी ने कपड़े पहनेहै , किसी ने नहीं। लोग डर कर आपस में लिपट रहे हैं। छि : छि :मुझे तो आगे कहते हुए शर्म आती है। समझ में नहीं आता किहमारा सेंसर बोर्ड आखिर करता क्या है ?’
‘ यह तो बाद की बात है ,’ भीड़ में से एक आवाज आई , ‘ पहलेयह बताइए कि यह फिल्म लगी कहां है ?’
Judge: Tum apni limit cross kar rahe ho.
Lawyer: Kaun saala aisa kehta he?
Judge: Tum ne muje sala bola?
Lawyer: Nahi My Lord, I asked KAUN-SA-LAW aisa kehta he?
एक दंपत्ति की शादी को साठ वर्ष हो चुके थे। उनकी आपसी समझ इतनी अच्छी थी कि इन साठ वर्षों में उनमें कभी झगड़ा तक नहीं हुआ। वे एक दूजे से कभी कुछ भी छिपाते नहीं थे। हां, पत्नी के पास उसके मायके से लाया हुआ एक डब्बा था जो उसने अपने पति के सामने कभी खोला नहीं था। उस डब्बे में क्या है वह नहीं जानता था। कभी उसने जानने की कोशिश भी की तो पत्नी ने यह कह कर टाल दिया कि सही समय आने पर बता दूंगी।
आखिर एक दिन बुढ़िया बहुत बीमार हो गई और उसके बचने की आशा न रही। उसके पति को तभी खयाल आया कि उस डिब्बे का रहस्य जाना जाये। बुढ़िया बताने को राजी हो गई। पति ने जब उस डिब्बे को खोला तो उसमें हाथ से बुने हुये दो रूमाल और 50,000 रूपये निकले। उसने पत्नी से पूछा, यह सब क्या है। पत्नी ने बताया कि जब उसकी शादी हुई थी तो उसकी दादी मां ने उससे कहा था कि ससुराल में कभी किसी से झगड़ना नहीं । यदि कभी किसी पर क्रोध आये तो अपने हाथ से एक रूमाल बुनना और इस डिब्बे में रखना।
बूढ़े की आंखों में यह सोचकर खुशी के मारे आंसू आ गये कि उसकी पत्नी को साठ वर्षों के लम्बे वैवाहिक जीवन के दौरान सिर्फ दो बार ही क्रोध आया था । उसे अपनी पत्नी पर सचमुच गर्व हुआ।
खुद को संभाल कर उसने रूपयों के बारे में पूछा । इतनी बड़ी रकम तो उसने अपनी पत्नी को कभी दी ही नहीं थी, फिर ये कहां से आये?
''रूपये! वे तो मैंने रूमाल बेच बेच कर इकठ्ठे किये हैं ।'' पत्नी ने मासूमियत से जवाब दिया।
90 वर्षीय एक सज्जन की दस करोड़ की लाटरी लग गई। इतनी बड़ी खबर सुनकर कहीं दादाजी खुशी से मर न जाएं, यह सोचकर उनके घरवालों ने उन्हें तुरंत जानकारी नहीं दी। सबने तय किया कि पहले एक डॉक्टर को बुलवाया जाए फिर उसकी मौजूदगी में उन्हें यह समाचार दिया जाए ताकि दिल का दौरा पड़ने की हालत में वह स्थिति को संभाल सके।
शहर के जानेमाने दिल के डॉक्टर से संपर्क किया गया । डॉक्टर साहब ने घरवालों को आश्वस्त किया - आप लोग चिंता मत करें । दादाजी को यह समाचार मैं खुद दूंगा । उन्हें कुछ नहीं होगा, मेरी गारंटी है।
डॉक्टर साहब दादाजी के पास गए । कुछ देर इधर - उधर की बातें कीं फिर बोले - दादाजी, मैं आपको एक शुभ समाचार देना चाहता हूं। आपके नाम दस करोड़ की लाटरी निकली हैं।
दादाजी बोले - अच्छा ! लेकिन मैं इस उमर में इतने पैसों का क्या करूंगा । पर अब तूने यह खबर सुनाई है तो जा, आधी रकम मैंने तुझे दी।
डॉक्टर साहब धम् से जमीन पर गिरे और उनके प्राण पखेरू उड़ गए ।
mujse shadi karogi?