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16 February 2011

एक आदमी मर गया और सीधा नरक में पहुंचा। वहां यमदूत ने उसका स्वागत किया और उसे नरक की सैर कराई। यमदूत ने कहा कि यहां तीन तरह के नरक-कक्ष है और उसे अपनी पसन्द का कक्ष चुनने की आजादी है।
पहला कक्ष आग की लपटों और गर्म हवाओं से इस कदर भरा हुआ था कि वहां सांस लेना भी दूभर था। आदमी ने कहा कि वह इस नरक में रहना नहीं चाहेगा।
यमदूत उसे दूसरे नरक कक्ष में ले गया। यह कक्ष सैंकड़ों आदमियों से भरा हुआ था और यमदूत बेरहमी से उनकी पिटाई कर रहे थे। चारों ओर चीखपुकार का माहौल था। आदमी यह सब देखकर घबरा गया और उसने यमदूत से अगला कक्ष दिखाने की प्रार्थना की।
तीसरा और अंतिम कक्ष ऐसे लोगों से भरा हुआ था जो बस आराम कर रहे थे और कॉफी पी रहे थे। यहां अन्य दो कक्षों जैसी कष्टदायक कोई बात उसे नहीं दिखी। उसने यमदूत से कहा कि वह इसी कक्ष में रहना चाहता है। यमदूत ने उसे उसी कक्ष में छोड़ा और चला गया। आदमी ने एक कॉफी ली और आराम से एक तरफ बैठ गया। कुछ मिनटों बाद लाउडस्पीकर पर एक आवाज गूंजी-
ब्रेक टाइम खत्म हुआ। अब फिर से दस हजार घूंसे खाने के लिये तैयार हो जाओ!

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