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27 February 2011

बीती रात सपने में बाबा झामदेव मिल गए. इन दिनों बाबा झामदेव के विचारों को  लेकर झाम मचा हुआ है. नेताओं को बाबा की बातें तीखी मिर्च लग रही हैं. खैर ये बाबा और नेताओं का पर्सनल मामला है. मुझे तो बाबा मिले तो मैंने सोचा कि क्यों न कुछ ज्ञान ले लिया जाए…. पेश है बाबा से मिले ज्ञान की कुछ खास बातें.
राजन : बाबा इन दिनों बबलू नाम की खूब चल रही है. पहले पप्पू था जो न पास हो पाता था न नाच सकता था. फिर टिंकू आया जो इश्क का मंजन यूज करता था. मगर ये बबलू ये क्या बला है.
बाबा झामदेव : बहुत अच्छा सवाल है बेटा. ये बबलू बेसिकली इंडियन सोसाइटी का सबसे चालाक तबका है. ये संसद में है, विधान सभा में है, देश के बड़े बिजनेस घरानों में भी है. फिलहाल ये क्रिकेट के मैदानों में टहल रहा है. इसे रुपया दोगुना से सौ गुना करने का हुनर मालूम है. हर जगह इसी की चलती है. अब क्रिकेट को ही ले लो… बबलू ने कहा आउट तो आउट.. क्योंकि बबलू ने आउट पर ही अपने पैसे लगाए हैं. वर्ल्ड कप क्रिकेट के दौरान उसे अपने रुपये न सिर्फ हजार गुने करने हैं बल्कि बेवकूफों से सट्टा के नाम पर रुपये लगवाने भी हैं. बबलू का काम फोन पर हो जाता है. वह स्क्रीन पर नहीं नजर आता मगर चलती उसी की है. बबलू ही सबकुछ तय करता है. न सिर्फ क्रिकेट के मैदान में बल्कि देश में भी. किस कंपनी को ठेका मिलेगा, किस अधिकारी की कहां पोस्टिंग होगी और कौन लाइसेंस हासिल करेगा. सब बबलू ही तय करता है.
राजन : समझ गया बाबा.. मगर फिर वो पप्पू कौन था?
बाबा झामदेव : वो पप्पू तो देश का स्टुपिड कॉमन मैन है बेटा. न वो नाच सकता है और न वोट डालता है. वो पप्पू का कुडिय़ों में भले ही क्रेज हो मगर वो अपने सिद्धांतों के तले दबा हुआ है. वो समझता सबकुछ है मगर करता कुछ नहीं है. इसीलिए वो जिंदगी के हर मोड़ पर होने वाले इम्तेहानों मे पास भी नहीं हो पाता. वह अपने बीवी और बच्चों की जिम्मेदारियों में ही परेशान है.
राजन : ये भी समझ आ गया. अब बस थोड़ा टिंकू के बारे में बता दें.
बाबा झामदेव : हां, टिंकू जनरेशन नेक्स्ट कटेगरी को बिलांग करता है. उसे न तो देश और समाज की समस्याओं से मतलब है और न ही फ्यूचर में आने वाली जिम्मेदारियों का एहसास है. उसका ज्यादातर वक्त मोबाइल, इंटरनेट पर सैटिंग में और बाकी वक्त डेटिंग में गुजरता है. वह अपनी मर्जी का मालिक है इसलिए वो पल-पल मानता भी नहीं है. सिर्फ इश्क और मोहब्बत की दुनियां में डूबा रहता है. चूंकि टिंकू सिनेमा का दीवाना है इसलिए फिल्मों को ही हकीकत समझता है. फिल्मों के हिसाब से खुद को ढालता है. नये दौर के हीरो-हीरोइन उसके आइडियल हैं. मेरी बात समझ में आई बच्चा?
राजन : जी बाबा. समझ गया. थोड़ा लगे हाथ मुन्नी और शीला के बारे में बता देते तो कृपा होती.
बाबा झामदेव : बेटा तुमने शायद ध्यान नहीं दिया.. दबंग सुपरहिट गयी और तीस मार खां सुपर फ्लाप. यानि आज जवान होने से बहुत फायदा नहीं है.. बदनाम होने में ज्यादा पॉपुलेरिटी है. बदनाम होने के लिए कुछ भी किया जाए तो कम है. यही शार्टकट फार्मूला है. मुझे ही देखो… मैंने भी ब्रिटनी स्पीयर्स की तरह चर्चा में बने रहने का फार्मूला अपना लिया है. मगर कुछ बबलूओं को बुरा भी लग रहा है. बबलू को लगता है कि मैं उनके पॉलिटिक्स और ब्लैक मनी वाले पैतृक व्यवसाय में हाथ डाल रहा हूं. मुझे भी अब योग के बाद भोग चाहिए. ज्यादा दिन एक ही बिजनेस में रहना ठीक नहीं है. बिजनेस में एक्सटेंशन होते रहना चाहिए. खैर अब मेरा वक्त हो चला है. भोर होने वाली है और तुम्हारे सपने देखने का वक्त भी पूरा हो चला है..
राजन : अरे बाबा…. रुकिये… कुछ और भी पूछना है आपसे… सुनिये तो…
(तभी मेरी नींद टूट गयी और बबलू, पप्पू, टिंकू, शीला और मुन्नी से जुड़े कई और सवालों से जुड़ा ज्ञान अधूरा ही रह गया.)

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