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01 March 2011

एक बार सुबह-सुबह एक पंडितजी गंगा -स्नान करके लौट रहे थे।सामने से एक सरदार जी दातून मुँह में लगाए टहलते आ रहे थे। दोनों की (एक की भक्ति में और दूसरे की नींद के असर में) आँखें झुकी हुई थीं। दोनों आपस में टकरा गए। पंडित जी को क्रोध आगया बोले-बिना नहाया हुआ मुझसे छू गया मुझे अशुद्ध कर दिया। सरदारजी को भी गुस्सा आ गया।बोले तो कि हो गया?
पंडितजी-तुम क्या समझोगे, कभी धर्म-पुराण पढ़े ही नहीं।
सरदारजी-ओय पंडत ज्यादा ना बन। मैंने भी सब कुछ्पढ़ रखा है।
पंडितजी- अच्छा तो पाँच-पांडवों के नाम बताओ?
सरदारजी बोले ल्य सुन!
सरदारजी-इक पीम, इकोदा भाई, इक होर, इक होर ते इक्दा नाम बुल्य ग्या।

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