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01 March 2011

बीमार संता, संतानी से बोला - अब की मुझे जानवरों के डॉक्टर के पास ही ले जाना, उसी के इलाज से फर्क पड़ पायेगा।
संतानी - क्यों जी ऐसा क्यों कह रहे हो?
संता - सुबह मुर्गे की तरह उठ जाता हूं, दिन भर घोड़े की तरह यहां वहां भाग दौड़ करता हूं, दफ्तर में लोग गधे की तरह जोतते हैं, शाम को लौट कर परेशानहाल तुम सब पर कुत्ते की तरह भौंकता हूं... और रात गये एक भैंस के साथ सो जाता हूँ - ऐसे आदमी का इलाज जानवरों का डॉक्टर  ही कर सकता है।

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